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Kavach System: कैसे ट्रेन एक्सीडेंट को रोकेगा कवच सिस्टम, कैसे करता है काम

Kanchanjunga Express Accident: कवच सिस्टम एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RSCO) ने तीन भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर  डिजाइन किया है.

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Kavach System: कैसे ट्रेन एक्सीडेंट को रोकेगा कवच सिस्टम, कैसे करता है काम

ट्रेन को एक्सीडेंट से बचाने के लिए की गई कवच सिस्टम की शुरुआत

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Kanchanjunga Express Accident, Indian Railway Kavach System: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में सोमवार सुबह हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना में अभी तक 9 लोगों की मौत और 60 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर आ गई है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी दुर्घटना स्थल पर पहुंच चुके हैं. मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी है. इसी बीच सोशल मीडिया पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह रेलवे कवच सिस्टम की खासियतें समझाते नजर आ रहे हैं. अब कहा ये भी जा रहा है कि अगर ये इतनी खासियत से भरपूर है तो क्यों नहीं लग रहा है ट्रेनों में कवच सिस्टम.


यह भी पढ़ें: Kanchanjunga Express Accident: ट्रेन हादसे वाली जगह पर पहुंचे रेल मंत्री, बाइक से तय किया कच्चे रास्ते का सफर 


क्या होता है कवच सिस्टम
कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RSCO) ने तीन भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर  डिजाइन किया है. इस लिए यह कहा जा सकता है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे APS यानी स्वदेशी एंटी प्रोटेक्शन सिस्टम भी कहते हैं. यह ट्रेन एक्सीडेंट्स को रोकने के लिए तैयार किया गया है. यह न केवल ट्रेनों की रफ्तार को नियंत्रित करने में मदद करता है बल्कि लोको पायलट को खतरे  वाले सिग्नल्स पर एलर्ट भी करता है. यह सिक्योरिटी सिस्टम ढंड के दिनों में कम विजिबिलिटी वाली स्थिति में भी ट्रेन की रफ्तार को बनाए रखने में भी मदद करती है. 
रेलवे के जानकार बताते हैं कि यह सिस्टम इतना पावरफुल है कि आपात स्थिति में यह खुद ट्रेन में ब्रेक भी लगा सकता है. जिससे ट्रेन हादसों को रोका जा सके. हालांकि, रेलवे की योजना इस सिस्टम को पूरे रेल नेटवर्क पर लगाने की है. कुछ रूटों पर मिली सफलता के बाद इसे तेजी से सभी रूटों पर लगाए जाने का काम किया जाना है. 

ट्रेन की लोकेशन को  देखने के लिए जगह जगह रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग्स लगाए जाते हैं जिससे ट्रेन की रफ्तार से लेकर उसकी स्थिति को भी जांचा जा सके. 


यह भी पढ़ें:Train Accident: बंगाल में बड़ी रेल दुर्घटना, कंचनजंघा एक्सप्रेस और मालगाड़ी में टक्कर, 15 की मौत, 60 घायल


कैसे करता है काम
कई बार मानवीय भूल के कारण या फिर किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण ट्रेन रेड सिग्नल क्रास कर जाती हैं जिससे कई बार एक्सीडेंट का सामना करना पड़ता है. लेकिन जहां भी ये सिस्टम लगा होगा वहां कवच एक्टिव हो जाएगा और खतरे की बू आते ही ये सिस्टम ट्रेन में ब्रेक लगा कर रफ्तार को धीमा कर देगा. यही नहीं धुंध और कोहरे की स्थिति में यह सिस्टम बेहद मददगार साबित होता है. 
बता दें कि 2022 में रेलवे मंत्री अश्विनी वैश्वन ने कहा था कि उन्होंने खुद इस सिस्टम को टेस्ट किया था. 
रेलवे हालांकि अगले साल तक 6000 किलोमीटर ट्रैक को कवर करने जा रहा है. रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा बताती हैं,' 'ट्रैक को कवर करने के टारगेट के तहत दिल्ली गुवाहाटी मार्ग पर सिक्योरिटी सिस्टम इंस्टॉल करने की भी योजना बनाई गई है. यह सिस्टम दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर भी लगाया जाएगा.'
फिलहाल कवच 1500 किलोमीटर से ज्यादा रेल पटरियों पर इंस्टॉल किया जा चुका है.


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