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Flesh Eating Bacteria: जापान में कहर बरपा रहा 'मांस खाने वाला बैक्टीरिया', शरीर में 48 घंटे भी रहा तो जा सकती है जान

Flesh Eating Bacteria: जापान में एक घातक और दुर्लभ 'मांस खाने वाला बैक्टीरिया' तेजी से कहर बरपा रहा है, इसके कारण लोग स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) नामक गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं...

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Flesh Eating Bacteria: जापान में कहर बरपा रहा 'मांस खाने वाला बैक्टीरिया', शरीर में 48 घंटे भी रहा तो जा सकती है जान

मांस खाने वाला बैक्टीरिया

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Flesh Eating Bacteria: जापान में एक घातक और दुर्लभ 'मांस खाने वाला बैक्टीरिया' तेजी से कहर बरपा रहा है. इसके कारण एक ऐसी गंभीर बीमारी पनप रही है, जिसमें मरीज की 48 घंटे के अंदर मौत हो सकती है. ऐसे में इस जानलेवा बीमारी (STSS) ने लोगों के बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में अभी तक इस बीमारी से कुल 977 मामले सामने आए हैं.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्शियस डिजीज के मुताबिक, ये संख्या पिछले साल दर्ज किए गए रिकॉर्ड 941 मामलों से अधिक है. इस रहस्यमयी बीमारी पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्शियस डिजीज 1999 से नजर रख रहा है... 

क्या है ये बीमारी

ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीमारी को मेडिकल की भाषा में स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) कहा जाता है, जो कि स्ट्रेप्टोकोकस नामक  बैक्टीरिया से फैलता है. इसके दो वैरिएंट या टाइप होते हैं. पहला है ग्रुप-ए स्ट्रेप्टोकोकस (Streptococcus) और दूसरा है ग्रुप-बी स्ट्रेप्टोकोकस. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक किसी को जब सर्दी, खांसी, बुखार या गले में खराश की दिक्कत होती है, तो मरीज में ग्रुप-ए स्ट्रेप्टोकोकस रिपोर्ट किया जाता है.

यह कई बार एंटीबायोटिक लेने से या खुद ब खुद ठीक हो जाती है. इसके अलाव ग्रुप-बी स्ट्रेप्टोकोकस है, जिसे नुकसानदेह नहीं माना जाता है. लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कई बार ग्रुप-ए स्ट्रेप्टोकोकस के कुछ स्ट्रेन्स कभी-कभी बहुत खतरनाक हो जाते हैं, जिसे इनवेसिस ग्रुप-ए स्ट्रेप्टोकोकस कहते हैं औ यह जिस तरीके का स्थिति पैदा करता है, उसे ही स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम कहा जाता है. 

किन देशों में और मिले मामले? 

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें तो जापान (Flesh Eating Bacteria Japan) के अलावा अन्य कई देशों में भी हाल ही में STSS के मामले सामने आए हैं. बता दें कि साल 2022 के अंत में कम से कम पांच यूरोपीय देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इनवेसिव ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस  यानी iGAS बीमारी के मामलों में हो रही बढ़ोतरी की सूचना दी थी.

क्या हैं इसके लक्षण 

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये बैक्टीरिया अंगों में दर्द और सूजन, बुखार, लो ब्लड प्रेशर जैसे गंभीर और तेजी से बढ़ने वाले लक्षण पैदा कर सकते है और ये लक्षण सांस संबंधी समस्याएं, अंगों का फेल होना और यहां तक ​​कि मृत्यु तक का जोखिम बढ़ा सकते हैं. 

कैसे करें बचाव? 

इससे बचाव के लिए साफ-सफाई बनाए रखना जरूरी है. इसके अलावा किसी भी खुली चोट या फिर जख्म का सही उपचार करना भी जरूरी है. संक्रमितों की आंतों में ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस हो सकता है, जो मल के जरिए व्यक्ति के हाथों को दूषित कर सकता है.

(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)

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