साल 1923 से 1925 के बीच एडविन हबल नाम के एक अमेरिकी साइंटिस्ट ने ब्रह्मांड से जुड़ी कई खोजें की.
अक्टूबर 1923 में हबल ने हुकर टेलिस्कोप का इस्तेमाल करके एंड्रोमेडा 'नेबुला' में नोवा तारे को चमकते देखा.
बाद में जब उन्होंने दूसरे एस्ट्रोनॉमर की तस्वीरें परखीं तो पाया कि यह एक खास तरह का परिवर्तनशील तारा है जिसे सेफिड के रूप में जाना जाता है.
हबल ने पाया कि एंड्रोमेडा कम से कम एक मिलियन प्रकाशवर्ष दूर था और हमारी आकाशगंगा से बाहर था. यह अपने आप में एक आकाशगंगा थी जिसमें अरबों तारे थे.
उन्होंने सभी ज्ञात नेबुला का अध्ययन और वर्गीकरण करना शुरू किया और साल 1929 में उन्होंने एक चौंकाने वाली खोज की.
अधिकतर आकाशगंगाएं हमसे दूर होती दिखाई दे रही थीं. हबल ने पाया कि दरअसल ब्रह्मांड खुद में फैल रहा है.
करीब एक दशक पहले आइंस्टीन ने भी ब्रह्मांड के फैलने की बात मानते हुए अपने इक्वेशन में सुधार किया था. अब हबल ने साफ किया कि आइंस्टीन सही थे.
खगोल विज्ञान में हबल का अंतिम महत्वपूर्ण योगदान पालोमर पर्वत पर हेल 200-इंच टेलीस्कोप के डिजाइन और निर्माण में एक अहम भूमिका निभाना था. हुकर से चार गुना ज़्यादा शक्तिशाली हेल दशकों तक पृथ्वी पर सबसे बड़ी दूरबीन होगी.
साल 1953 में उनकी मौत हो गई और वह नोबेल पुरस्कार पाने से चूक गए क्योंकि उस समय एस्ट्रोनॉमी में नोबल नहीं दिया जाता था. हालांकि पहली अंतरिक्ष दूरबीन का नाम उनके नाम पर रखा गया है.