डीएनए एक्सप्लेनर
Modi 3.0: नरेंद्र मोदी करीब 23 साल से सत्ता चला रहे हैं. पहले गुजरात में और फिर देश की टॉप सीट संभालते हुए हमेशा उनके हाथ में बहुमत का ब्रह्मास्त्र रहा है, लेकिन इस बार मामला अलग है.
Updated : Jun 07, 2024, 02:43 PM IST
लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद भाजपा नेतृत्व वाले NDA गठबंधन ने तीसरी बार सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. कांग्रेस नेतृत्व वाले INDIA ब्लॉक के सरकार का दावा नहीं करने के फैसले के बाद NDA की राह में कोई रोड़ा नहीं है. NDA की बुधवार शाम हुई बैठक में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद पर बने रहने का भी फैसला हो चुका है. हालांकि इस पर औपचारिक मुहर 7 जून को NDA की बैठक में लगाई जाएगी. अब तक तय कार्यक्रम के हिसाब से 8 जून को नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे, लेकिन इस बार नजारा अलग होगा. राज्य या देश की टॉप सीट पर अपने 22 साल के सफर में पहली बार मोदी के हाथ में बहुमत का ब्रह्मास्त्र नहीं होगा, जिसके बूते वे अपने मनचाहे फैसले लेते रहे हैं. इस बार वे सहयोगी दलों के समर्थन पर निर्भर रहेंगे. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 10 साल से अपने सहयोगी दलों को अपने इशारों पर नचा रहे पीएम मोदी को इस बार खुद उनके इशारे पर चलना होगा. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से पहले BJP ने जनता से जो वादे किए थे, क्या वो उन्हें पूरा कर पाएगी?
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CM से PM तक ऐसा रहा है मोदी का सफर
नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर 2001 को पहली बार सत्ता की टॉप सीट संभाली थी. वे केशुभाई पटेल की जगह गुजरात के 14वें मुख्यमंत्री बनाए गए थे. इसके बाद 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने तक वे राज्य में लगातार बहुमत की सरकार संभालते रहे. प्रधानमंत्री पद पर 2014 और 2019 में दो बार नियुक्त हो चुके मोदी को दोनों बार बहुमत की सरकार चलाने का मौका मिला. साल 2014 में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर 282 सीट जीती थीं, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 303 सीट पर पहुंच गया था. इस तरह 2001 से 2024 तक उन्होंने करीब 23 साल तक बहुमत की ही सत्ता संभाली है और उनके पास अल्पमत की सरकार चलाने का अनुभव नहीं है.
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N फैक्टर बनेगा राह का रोड़ा
बहुमत की सरकार चलाने के चलते पीएम मोदी हमेशा अपने मनचाहे फैसले लेते रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से लेकर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) तक पर, उन्हें विपक्ष ही नहीं कई सहयोगी दलों के विरोध के बावजूद कभी बीच में नहीं ठहरना पड़ा. इस बार हालात कुछ अलग लग रहे हैं. इस बार पीएम मोदी के नेतृत्व में जो MODI 3.0 सरकार बनेगी, उसमें भाजपा के पास बहुमत के 272 सीट के आंकड़े से कहीं कम 240 सीट ही मौजूद है. सत्ता की चाभी 292 सीट वाले NDA में बाकी 52 सीट पाने वाले सहयोगी दलों के हाथ में है, जिसे घुमाने का दमखम नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के पास होगा. इन दोनों का N Factor ही पीएम मोदी के स्वतंत्र कामकाज की राह का रोड़ा माना जा रहा है.
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इन 6 मुद्दों पर सहमति बनाना होगी सबसे बड़ी चुनौती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अल्पमत की सरकार में सहयोगी दलों का साधे रखना बड़ी चुनौती होगी. हम उन 6 मुद्दों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन पर मोदी और सहयोगी दलों के बीच सहमति के बजाय टकराव का रुख बन सकता है.
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