Pradosh Vrat 2024: आज प्रदोष व्रत पर जरूर करें शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ, शत्रुओं पर मिलेगी विजय

Aman Maheshwari | Updated:Jun 19, 2024, 06:28 AM IST

Pradosh Vrat 2024

Pradosh Vrat: आज 19 जून को बुध प्रदोष व्रत है. आज भगवान शिव की पूजा करने से आपका जीवन खुशहाल होगा.

Pradosh Vrat 2024: पंचांग के अनुसार, हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है. ऐसे ही त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए खास होती है. इस दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है. जून में ज्येष्ठ माह का प्रदोष व्रत आज 19 जून को रखा जाएगा. बुधवार के दिन यह व्रत होने से यह बुध प्रदोष व्रत होगा. इस दिन भगवान शिव की पूजा करें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram) का पाठ करें. चलिए आपको बताते हैं कि यह तिथि कब से लेकर कब तक रहेगी.

प्रदोष व्रत जून 2024

पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 19 जून को सुबह 7ः28 पर हो रही है. जिसका समापन अगले दिन 20 जून को सुबह 7ः49 पर होगा. इस दिन प्रदोष काल यानी शाम के समय पूजा होती है ऐसे में व्रत 19 जून को रखा जाएगा.


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प्रदोष व्रत पूजा विधि

- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें. सूर्यदेव को जल अर्पित करें.
- भगवान शिव की पूजा करें और व्रत के नियमों का पालन करें.
- शाम के समय प्रदोष काल में चौकी लगाएं और साफ कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें.
- अब विधि पूर्वक मां पार्वती और शिव जी की पूजा करें. इसके बाद आरती करें और भगवान को भोग लगाएं. पूजा के दौरान शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ जरूर करें.

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्

निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोहम्

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम्
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी

न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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